
अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां कहता था उसको मैं "मासूम" तब उसकी मासूमियत ये क्या हो गया वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया संग मेरे चला अंग भी वो लगा रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया वो मासूम इश्क़ वो मासूम इश्क़ वो मासूम इश्क़
Aug 11, 2023
25 min

अनुभवी लोग कहते हैं कि मोहब्बत की गांठ भले ही कच्ची डोर से क्यों ना बंधी हो मगर अनंत प्रेम की कड़ियों से जुड़ी होती है अनंत से अनंत तक आपके साथ खड़ी होती है कल भी आज भी.. ...... सांसों के साथ भी... सांसों के बाद भी
Jul 24, 2023
18 min

जवानी जब से बहकी थी उसी का नाम लेती थी मोहब्बत प्यास है उसकी यही पैगाम देती थी मैं मजनूं था मैं रांझा था वो लैला हीर जैसी थी मेरी चाहत के ज़ज्बो को मेरा ईमान कहती थी मगर अब.... जो समझती थी इशारों को इशारों ही इशारों में भुलाके उन नज़ारो को मेरा अब दिल दुखाती है ना कहती है ना सुनती है बड़ी खामोश रहती है मेरे इश्क़-ए- बहारा में वो तीर-ए-ग़म चलाती है ज़माना मुझसे कहता है दीवाने क्यूँ तू रोता है उसे कैसे मैं समझाऊं यही तो प्यार होता है.....
May 26, 2023
22 min

वो लम्हे सिर्फ एक अह्सास ही नहीं थे, एक जिन्दगी जी रहे थे हम, कितनी रस्मों को निभाने की कसमें खा रहे थे हम, निश्छल और निस्वार्थ भावनाएं हम दोनों की दीवानगी में स्पष्ट नज़र आ रही थी..... वैसे भी 16 - 17 की उम्र में छल फरेब कहाँ होता है मन में....बस प्रेम होता है...प्रेम ही होता है
May 10, 2023
21 min

मैं आज भी वहीं हूँ मेरी चाहते और मेरा इश्क़ भी वहीं ठहरा हुआ है उसी मोड़ उसी राह पर जहाँ जुदा हुए थे हम.....बस...मैं ही कुछ पत्थर सा हो चुका हूँ और पत्थरों से टकराता हूँ मंजिलों की तलाश में हर रोज हर लम्हा और टूट कर बिखर जाता हूँ हर रोज हर लम्हा....कभी वक़्त मिले और उन्हीं राहों पर चलने की हूक उठे तेरे मन में...तो कभी आ...आ कभी और रख मेरे दिल पे हाथ और सुन पत्थरों से टकरा कर टूट कर बिखर जाने की आवाज मेरे करीब आके सुन.....धड़कने मेरी सुन.....धड़कने मेरी सुन
Apr 28, 2023
18 min

तू कहती थी तेरी ही हूँ मैं तू कहती थी तेरी रहूंगी बगावत भी कर लूँगी जग से तेरी होने को सब कुछ सहूंगी समंदर की तरहा तू रहना मैं नदिया सी संग संग बहूँगी दर्द तूने दिया मर मिटा मैं लोग कहते हैं तू बेगुनाह थी आखिरी सांस तक तुझको चाहूँ तू क्या जाने तू मेरा खुदा थी बेपनाह इश्क़ करता था तुझसे मेरे जीने की तू ही वज़ह थी
Apr 20, 2023
9 min

माना के उस वक़्त.....मैं वो हस्ती नहीं था के तुझे सोने के रथ पर बिठा कर आसमा की सैर करा पाता.... मैं वो हस्ती भी नहीं था के तेरे मरमरी बदन को हीरे जवाहरात से सजा पाता.....तुझपे मोती लुटा पाता.... मगर...मैं वो दीवाना जरूर था जिसे तेरे होठों की एक एक मुस्कुराहट पे तबाह हो जाना मंजूर था... ...मैं वो परवाना जरूर था जिसे तेरी एक एक खुशी के लिए जलकर फनाह होता जाना भी मंजूर था... याद हैं ना तुझे ...वो लम्हे हमारी मौहब्बत के... क्या याद है तुझे आज भी.. वो सूरज की तपिश वो सफ़र- ए - इश्क़ एक मैं - एक तू ....और साइकिल पर हम दोनों हमारी मोहब्बत...हमारा इश्क़
Apr 13, 2023
21 min

अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां कहता था उसको मैं "मासूम" तब उसकी मासूमियत ये क्या हो गया वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया संग मेरे चला अंग भी वो लगा रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया वो बेपनाह इश्क़ वो बेपनाह इश्क़
Apr 5, 2023
25 min

इश्क़ की राह में मन भटकने लगा खुशबु - ए - यार में तन अटकने लगा प्यार धोखा है एक इल्म जब ये हुआ दिल शीशा था मेरा चटकने लगा.....
Mar 30, 2023
11 min

कुछ तेरी कुछ मेरी बातेँ होती थीं ...याद है ना तुझे...कुछ ऐसी भी रातें होती थीं ... रातों के वो हसीन लम्हे जिनमें होती थीं...कुछ .....बदमाशियां तेरी और कुछ .....गुस्ताखियां मेरी
Mar 23, 2023
10 min
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